Wednesday 23 April 2014

मेरे पहाड़ में नशा चड़ने लगा होगा ,


हल्के चटके कांच के गिलास 
निकलने लगे होंगे ...
नुक्कड़ बाजारों में 
दीवारों के पीछे छिपे कोनों में 
संसद सजने लगी होगी ..
दारू की ब्रांड और खुशबु में 
वोट इधर उधर होंगे 
और विशेष दबंगों के लिए 
मुर्गे पलने लगे होंगे ....

********************
********************

इंदिरा के किस्सों की बहार होगी
अटल के मान की बात होगी
आन्दोलन का कोदा भी पकेगा
'और झंगोरा भी फुकेगा
डेमोक्रेसी के डांस में जोशी
का लाल झंडा भी उठेगा
मगर शाम ...
शाम ...
शाम ...
शाम मेरा पहाड़
नेपथ्य में बैठा ,डूबते वर्तमान
पर इतराता उतरेगा
हल्के चटके कांच के गिलास में ...

*********************
*********************

तुमने रंग देखा है ,
गिलास में उड़ेली जा रही
शराब का ,
वोट वाली शराब का ..
गोर से देखो
पहाड़ घोल-घोल के
बोतल बंद हुई है .
सिर्फ तुम्हारा वोट नहीं लेगी
इस बार
तकदीर लेगी बड़ी इठलाती
हल्के चटके कांच के गिलास में ..

गौरव नैथानी

Friday 4 April 2014



  पहाड़ :बरसात के इंतजार में


ठण्ड जा रही है तो 

बर्फ पिघलने लगी होगी 
पहाड़ की छाती में और 
फूटने को होंगे
नए नए कोपल 
फ्यूंली और बुरांस के ...
सफेदी हटेगी तो 
पहाड़ अलसायेगा और 
ओड़ लेगा सतरंगी 
कोई हरे में खुश होगी 
तो कोई पीले में 
बहुत कुछ होगा 
पहाड़ को खुश होने को ..
***************
***************
मगर उसकी उम्र की दरारें 
और फैलेंगी इस मौसम भी 
वो ताकेगी बार बार शूल से टिके 
चीड़ों को पहाड़ की छाती पे 
और दरकते पहाड़ 
मजबूर करेंगे उसे 
कुछ अनचाह सोचने को ..
ठण्ड गयी है तो फिर कभी न कभी 
आ ही जाएगी बरसात 
और टूटेंगे ही हमारे 
पुरखों के पहाड़ ....
***********************
********************
देश में पूछते हैं मुझसे 
क्यूँ रहते हो पहाड़ों में 
उतर आओ 
और बंद करो रोना
खड़ा हो बारिश के पानी में ..
कैसे समझाउं सिर्फ 
पहाड़ नहीं छूटता 
पहाड़ की सड़कों को
नापने से 
छूट जाती है फ्योंली 
छूट जाती है ऊमी 
छूट जाते हैं हम 
छूट जातें हैं हमारी जिन्दगी के रंग 
कैसे छोड़ दें 
पहाड़ को हम ...
*******************
*******************
पिछले साल गिरे पुश्ते को 
जोड तोड़ के फिर जुटा दिया है उसने 
सीमेंट नहीं ले पाया 
मगर मिट्टी से भरपूर बंधा है पुश्ता 
बार-बार नन्ही मुट्ठियों से 
प्रहार कर मापता है मजबूती ....
फिर पूरी तैयारी में लगता है 
इस बरसात के लिये "पहाड़ी" 

*******************
*******************

गौरव नैथानी